अंतर्मन

बाहर की खुशी

और अंतर्मन का द्वंद

सुनने की खुशी

और होने का द्वंद

किसी के कहने की खुशी

उसके करने का द्वंद

हमारे हम होने की खुशी

किसी के हमारे तुम होने का द्वंद


एक तरफ खुशी

एक तरफ द्वंद

कितना समानांतर है

एक तरफ सब कुछ

दूसरी तरफ कुछ नही

ना पूरा खाली

न पूरा भरा हुआ

बस अंतर इतना

हो के भी

ना होने का अहसास


हर तरफ तलाश खुशी की

हर तलाश में इसके ना होंने का द्वंद

अपनी बनायी दुनिया की खुशी

लेकिन इस मे एक और दुनिया होने का द्वंद

किसी जुबां से

अपनी दुनिया के

हर एक सपनो की बात

हर कदम पर साथ रहने का साथ

सब कुछ हासिल सा हो जाने की खुशी

लेकिन सिर्फ हासिल सा ही

इसके पूरे होने

और ना होने के अंतर का द्वंद


खुशी और द्वंद

दोनों हम ही

एक हमरा अंतर्मन

दूसरे हम खुद

(नवीन सिन्हा)

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