काफी कुछ छूट जाता है
अचानक से
बहुत सारे छोटे छोटे पल
बहुत सारी बातें
बहुत सारी यादें
अचानक से
खुद से खुद के लिए
अनजाने से हो जाते हैं
हो के भी नही होना जैसा
अचानक से
एक अधूरापन
खुद के अधूरे रह जाने का
या किसी के अधूरे ही छूट जाने का
अचानक से
कुछ होता नही
खुद से खुद में इतने मुक्कमल
हर अधूरापन पूरा सा लगे
अचानक से
एक अंतराल
गए और आते कल में
बीते और आते पल में
छोड़ आये अधूरेपन
और आने वाले पूर्णता में
तलाशती नजर
और बदले हुए नजरिये में
अचानक से
अपनी ही सोच से अलग
खुद से खुद को समझती
नई रोशनी बिखेर
खुद की परछाई से बहुत अलग
नई प्रच्छया
(नवीन सिंह)